भारतेन्दु हरिश्चंद्र (1850-1885) हिंदी साहित्य के इतिहास में एक अमूल्य रत्न हैं। उन्हें “आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक” कहा जाता है। उनके जीवनकाल में साहित्य, पत्रकारिता, नाटक और कविताओं के क्षेत्र में उन्होंने अप्रतिम योगदान दिया। उनके लेखन में राष्ट्रीयता, सामाजिक सुधार और सांस्कृतिक चेतना के गहरे भाव दृष्टिगोचर होते हैं।
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने खड़ी बोली हिंदी को साहित्य और गद्य की भाषा के रूप में स्थापित किया। उनकी रचनाओं में सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं का सजीव चित्रण है। उन्होंने नाटक, कविता, निबंध, पत्रकारिता, यात्रा वृतांत, और आत्मकथा जैसी विभिन्न विधाओं में काम किया।
प्रमुख कृतियाँ और प्रकाशन वर्ष
1. मौलिक नाटक
नाटक का नाम
प्रकाशन वर्ष
वर्ण्य विषय
अंधेर नगरी
1881
प्रशासन और सामाजिक भ्रष्टाचार पर व्यंग्य
भारत दुर्दशा
1875
देशभक्ति और ब्रिटिश शासन का विरोध
सत्य हरिश्चंद्र
1876
सत्य, धर्म और पौराणिक कथाओं का चित्रण
2. अनूदित नाट्य रचनाएँ
नाम
प्रकाशन वर्ष
मूल स्रोत
विद्यासुंदर
1875
बंगाली साहित्य
नील देवी
1876
संस्कृत नाटक
3. निबंध संग्रह
नाम
प्रकाशन वर्ष
वर्ण्य विषय
नाटक
1873
नाट्यकला के सिद्धांत
भारतवर्षीय उत्सव
1877
भारतीय त्योहारों का महत्व
4. काव्यकृतियाँ
काव्य का नाम
प्रकाशन वर्ष
वर्ण्य विषय
भारत दुर्दशा
1875
देशभक्ति और समाज सुधार
प्रेम फुलवारी
1877
प्रेम और मानवीय संवेदनाएँ
5. कहानी और यात्रा वृतांत
कहानी/यात्रा वृतांत
प्रकाशन वर्ष
वर्ण्य विषय
बनारस यात्रा
1880
धार्मिक और सांस्कृतिक विवरण
6. आत्मकथा और उपन्यास
नाम
प्रकाशन वर्ष
वर्ण्य विषय
आत्मकथा (अपूर्ण)
1883
आत्मनिरीक्षण और जीवन अनुभव
भाषा, शैली, रस, छंद और अलंकार
पहलू
विशेषता
भाषा
खड़ी बोली हिंदी, तत्सम और तद्भव शब्दों का समावेश।
शैली
व्यंग्यात्मक, भावपूर्ण और सरल।
रस
प्रमुखतः वीर रस, करुण रस और हास्य रस।
छंद
दोहा, चौपाई, कुंडलिया।
अलंकार
अनुप्रास, उपमा, रूपक।
महत्वपूर्ण कार्य
पत्रकारिता में योगदान:
कविवचन सुधा (1873): मासिक पत्रिका जो हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के विकास में मील का पत्थर साबित हुई।
हरिश्चंद्र चंद्रिका (1874): सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर प्रकाश डालने वाली पत्रिका।
नाटक साहित्य का विकास:
भारतेन्दु ने आधुनिक हिंदी नाटक को एक नई दिशा दी। उनके नाटकों में सामाजिक कुरीतियों और भ्रष्टाचार के प्रति जागरूकता है।
सामाजिक सुधार:
उन्होंने महिला शिक्षा, स्वदेशी आंदोलन और सामाजिक जागृति के लिए रचनात्मक प्रयास किए।
संदर्भ सूची
हिंदी साहित्य का इतिहास – आचार्य रामचंद्र शुक्ल।
हिंदी नाटक और भारतेन्दु – हजारीप्रसाद द्विवेदी।
भारतेन्दु साहित्य संदर्भ कोश – डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी।